दर्शन दवे ने एण्डटीवी के शो ‘दूसरी माँ’ में रणधीर शर्मा का किरदार निभाने पर की बात

एक्टर दर्शन दवे विभिन्न लोकप्रिय टेलीविजन शोज में अपने यादगार अभिनय से दर्शकों को खुश करने के बाद एण्डटीवी के फैमिली ड्रामा ‘दूसरी माँ‘ में रणधीर शर्मा की भूमिका निभा रहे हैं। इस नई भूमिका में दर्शन शो को एक नया आयाम देंगे और दर्शक भविष्य को जानने के लिये उत्सुक रहेंगे। इस इंटरव्यू में दर्शन ने अपने किरदार को लेकर अपना नजरिया बताया है, दर्शकों को खुश करने के लिये अपने संकल्प और सावधानीपूर्वक की गई उन तैयारियों के बारे में बताया, जिन्होंने रणधीर की शख्सियत को आकार दिया है।

रणधीर शर्मा की भूमिका ने आपको कैसे आकर्षित किया?

यह भूमिका एक नया बदलाव देती है और शो में कई आकस्मिक ट्विस्ट्स, टन्र्स और नाटकीय पल लाने का वादा करती है। मैं कुछ अलग करने के लिये उत्सुक था और यह मौका मुझे बिलकुल बढ़िया लगा। मैं इस शो में रणधीर शर्मा की भूमिका निभा रहा हूँ। वकील के तौर पर रणधीर की अशोक से दुश्मनी है। इसके बावजूद, अशोक के गायब होने और यशोदा की मुश्किल घड़ी में, वह उसकी मदद करता है। रणधीर चाहता है कि उसके दयाभाव से यशोदा प्रभावित हो, जबकि असल में उसकी शख्सियत पेचीदा और कई परतों वाली है। इस किरदार को लेकर मैं रोमांचित था, क्योंकि मुझे उसकी गहराइयों में उतरने का मौका मिला। अपने किरदार के अलावा मुझे इस शो की कहानी भी पसंद है। मैं शुरूआत से ही इस शो को देख रहा हूँ और अब इसका हिस्सा बनकर रोमांचित हूँ।

अपने ही शहर में किसी शो के लिये शूटिंग करके कैसे आराम या सहूलियत मिलती है?

इस शो का हिस्सा बनना मेरे लिये पूरी तरह से एक आशीर्वाद रहा है। मुझे पहली बार अपने होमटाउन में शूटिंग करने का मौका मिला और इस तरह मेरे पैरेंट्स अकेले नहीं रहेंगे। अपने ही शहर में शूटिंग करने से निश्चित तौर पर आराम और सहूलियत मिलती है। इस प्रोडक्शन का हिस्सा बनने की खुशी मेरे प्यारे होमटाउन जयपुर में उसकी जगह होने से बढ़ गई है। यह जानकर मैं बड़ा ही खुश हो जाता हूँ कि अब मुझे अकेेले नहीं खाना पड़ेगा और मेरी घर वापसी के लिये कोई इंतजार नहीं कर रहा है। इसके लिये मैं आभारी हूँ और मेरे पैरेंट्स भी उतने ही खुश हैं। वे अक्सर सेट पर मेरे साथ आते हैं और हम मिलकर अच्छा वक्त बिताते हैं। इस तरह का सुख कोई भी एक्टर याद रखेगा, खासकर वे, जो मुंबई से नहीं हैं। इतने बेहतरीन अनुभव के लिये मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूँ।

क्या आप अभिनय में हुए किसी चुनौती वाले अनुभव के बारे में बता सकते हैं? इससे आप कैसे उभरे?

किसी एक्टर के लिये पहली चुनौती होती है अपने किरदार में ढलना, खासकर जब दूसरे किरदारों के साथ स्क्रीन शेयर की जा रही हो। कपड़ों और मेकअप का इसमें बड़ा योगदान होता है, लेकिन विशेष भूमिका के लिये शरीर को ढालना भी महत्वपूर्ण होता है। जब मैं कोई भूमिका स्वीकार करता हूँ, तब खुद को पूरी तरह से उसके लिये समर्पित कर देता हूँ। रणधीर का किरदार निभाने से पहले मैंने वेब सीरीज ‘स्कूप’ में एक परिपक्व और सुडौल पुलिस अधिकारी की भूमिका निभाई थी। उस किरदार को असली बनाने के लिये मैंने अपना 16 किलो वजन बढ़ाया था। हालांकि रणधीर की भूमिका निभाने के लिये मुझे अपना वजन घटना पड़ा और पहले जैसी स्थिति में आना पड़ा, क्योंकि उस भूमिका के लिये एक प्रासंगिक और रोजमर्रा का व्यक्तित्व चाहिये था। एक्टर होने के नाते मेरा पक्का मानना है कि आपका कोई भी डायलाॅग आने से पहले आपकी दिखावट दर्शकों को धारणा बनाने का आधार देती है। चुनौतियाँ हर एक्टर को मिलती हैं, और उनका सामना करना तथा उनसे उभरने के तरीके खोजना महत्वपूर्ण होता है।

इस शो में किरदार तीव्र भावनात्मक यात्राओं से गुजरते हैं। आप पेचीदा भावनाओं से जुड़कर प्रभावी तरीके से उन्हें कैसे व्यक्त करते हैं?

मेरे पूरे कॅरियर में मुझे गंभीर भूमिकाएं निभाने में बड़ा मजा आया है और मेरी किस्मत अच्छी है कि मुझे ऐसे मौके मिलते रहे हैं, ताकि वैसा प्रदर्शन कर सकूं। इन शोज में निश्चित रूप से तीव्र भावनाओं के पल होते हैं और उन भावनाओं को प्रभावी तरीके से व्यक्त करना कभी-कभी बहुत चुनौती वाला होता है। किसी ने ठीक ही कहा है, ‘दर्शकों को हंसाना कठिन है, लेकिन रुलाना भी मुश्किल है’। दर्शकों से भावनात्मक स्तर पर जुड़ना और किरदार के साथ लगाव पैदा करना किसी एक्टर के लिये सबसे मुश्किल कामों में से एक है। मैं ऐसे शो को पसंद करता हूँ, जो मुझे यह चुनौती देता है। रणधीर जैसे किरदारों की अक्सर गूढ़ अतीत वाली कहानियाँ होती हैं, जो किरदार को संभावना देने में महत्वपूर्ण होती हैं। हालांकि व्याख्या दर्शकों पर ही निर्भर करती है, और उसमें अंतर हो सकता है, यह प्रतिक्रिया सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह की हो सकती है।

एक्टिंग के अलावा कोई और काम, जो आप करना चाहते हैं?

एक्टिंग की मेरे दिल में एक खास जगह है, वह मेरा पहला और सबसे बड़ा जुनून है। एक्टिंग के लिये मेरे प्यार के अलावा, मुझे संगीत से अटूट लगाव है। मैंने एक शास्त्रीय गायक के तौर पर औपचारिक प्रशिक्षण लिया है और जयपुर में एक स्टूडियो स्थापित किया है, जहाँ मैं संगीत बनाने और गाने रिकाॅर्ड करने के लिये समय देता हूँ। मेरा सौभाग्य था कि बचपन से ही मुझे अपनी माँ से संगीत की प्रतिभा मिली, वे एक प्रतिष्ठित वोकल म्यूजिक गुरु हैं। मैं उनकी मंत्रमुग्ध करने वाली प्रस्तुतियाँ सुना करता था और तबला, ढोलक, गिटार और कांगो जैसे वाद्ययंत्र बजते रहते थे। अपने स्कूल के वर्षों में मैंने करीब सौ गाने बनाये और मेरी माँ ने मुझे कीबोर्ड और विभिन्न वाद्य उपहार में दिये, ताकि मैं अपने हुनर को निखार सकूं। वह मेरी सबसे बड़ी प्रेरणा हैं और उन्हें संगीत के लिये मेरा जुनून जगाये रखा है। मैंने कई म्यूजिक एलबम बनाये और कम्पोज किये हैं और मुझे आगे भी यह करते रहने की आशा है। इसलिये, अगर मैं एक्टिंग में कॅरियर नहीं बनाता, तो निश्चित तौर पर संगीतकार के रूप में अपने सपने पूरे करता।

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