किरदारों पर मंडरायेगा भूतों का साया!

एण्डटीवी के पसंदीदा शोज ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ ने अपनी मजेदार कहानियों और हास्यप्रद किरदारों से हमेशा से ही लोगों को हंसा-हंसा कर लोट-पोट किया है। हालांकि, इस बार इन शोज के क्रिएटर्स ने एक नये एवं रोमांचक सफर पर जाने का फैसला किया है, जो आपको हंसाने के साथ ही डरायेगा भी। ये दोनों ही शोज दर्शकों को भुतहा सफर पर ले जायेंगे, जो उन्हें हंसी और सस्पेंस से भरपूर डरावनी कहानियां दिखायेगा। इन मजेदार कहानियों में इमोशन्स का भी तड़का लगेगा, जो निश्चित रूप से आपको हंसाने के साथ ही रूह कंपाने वाला अनुभव भी देगा।

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के दरोगा हप्पू सिंह ने इस दिलचस्प कहानी के बारे में बताते हुये कहा, ‘‘जब ऋतिक (आर्यन प्रजापति), चमची (ज़ारा वारसी) और रणबीर (सोमया आज़ाद) हप्पू (योगेश त्रिपाठी) को बताते हैं कि उनके एक दोस्त के पापा बहुत अजीब हरकतें कर रहे हैं, क्योंकि उन पर एक डांसर का भूत सवार हो गया है, तो हप्पू इस बात को हंसी में उड़ा देता है। हप्पू कहता है कि यदि किसी भूत में हिम्मत है, तो उसके जैसे किसी बहादुर इंसान के शरीर में घुस कर दिखाये। उस रात वह एक मास्क पहनकर राजेश (गीतांजलि ठाकुर) और बच्चों को डरा देता है और जब डर के मारे उनकी हालत खराब हो जाती है, तो खूब हंसता है। अगले दिन, बच्चे हप्पू को एक रात कब्रिस्तान में बिताने का चैलेंज देते हैं। वह मान जाता है और बेनी (विश्वनाथ चटर्जी) को अपने साथ लेकर आता है। कब्रिस्तान में रात बिताने के बजाय, हप्पू कब्रिस्तान के गेट पर एक वीडियो रिकाॅर्ड करता है और सोने के लिये पुलिस स्टेशन चला जाता है। वह इस बात से बेखबर है कि पुलिस स्टेशन में शाकाल की मौत हो गई है। मनोहर (नितिन जाधव) धोखे से शाकाल को काॅकरोच के जहर वाली बिरयानी खिलाता है, जिसे खाकर उसकी मौत हो जाती है। पुलिस स्टेशन पहुंचने पर एक रहस्यमय हाथ हप्पू को छूता है। हप्पू के जागने के बाद शाकाल की आत्मा उसके शरीर में घुस जाती है और वह अजीब हरकतें करने लगता है। हप्पू के इस बदले हुये व्यवहार से हैरान, राजेश को एक आईने के जरिये हप्पू के शरीर में घुसी हुई किसी दूसरे शख्स की आत्मा के बारे में पता चलता है।‘‘ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की आगामी हाॅरर कहानी के बारे में बताते हुये, विभूति नारायण मिश्रा ने कहा, ‘‘विभूति (आसिफ शेख) और तिवारी (रोहिताश्व गौड़) के बीच बार-बार होने वाले झगड़ों को सुलझाने के लिये डेविड चाचा (अनूप उपाध्याय) उन्हें देर रात मिलने का प्रस्ताव देते हैं। दोनों मान जाते हैं और अपने झगडे़ को घने जंगल में दो खास पेड़ों के नीचे  निपटाने की योजना बनाते हैं। इसी के साथ, सक्सेना (सानंद वर्मा) भी गुरू मां (साहेब दास मानिकपुरी) के निर्देश पर उन्हें पेड़ों के नीचे किसी तांत्रिक क्रिया को अंजाम देने की चर्चा कर रहा है। पता चलता है कि भोला और भोली नाम के एक प्रेमी-प्रेमिका की आत्माओं का उन पेड़ों में वास है। मीटिंग से पहले, विभूति और तिवारी उन पेड़ों के नीचे पेशाब कर देते हैं और अनजाने में उनपर उनकी आत्माओं का साया आ जाता है। जब चाचा उन्हें अपना झगड़ा मिटाने के लिये कहते हैं, तो वे एक-दूसरे को गले लगा लेते हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि तिवारी अनीता (विदिशा श्रीवास्तव) के बजाय विभूति को पसंद करने लगता है और वहीं, विभूति भी अंगूरी (शुभांगी अत्रे) को छोड़कर तिवारी को चाहने लगता है। उनके व्यवहार से हैरान-परेशान अनीता और अंगूरी टीका (वैभव माथुर) और टिल्लू (सलीम ज़ैदी) को उनकी जासूसी करने के लिये उनके पीछे लगा देती हैं। विभूति और तिवारी को रोमांटिक बातें करते हुये देखकर टीका और टिल्लू दोनों ही हैरान हो जाते हैं।‘‘

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