गणतंत्र दिवस देशभक्ति और एकता के जोश से भरपूर एक खास दिन है। इस खास मौके पर एण्डटीवी के कलाकार अपने स्कूल के दिनों को याद करते हुये बता रहे हैं कि उन दिनों वो कैसे गणतंत्र दिवस का जश्न मनाया करते थे। इन कलाकारों में शामिल हैं -स्मिता सेबल (‘भीमा‘ की धनिया), गीतांजलि मिश्रा (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश) और विदिशा श्रीवास्तव (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी)। स्मिता सेबल ऊर्फ ‘भीमा‘ की धनिया कहती हैं, ‘‘मेरे लिये रिपब्लिक डे का मतलब था स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का होना। मुझे नाटकों और डांस में भाग लेना अच्छा लगता था, जो भारत की आजादी की लड़ाई और समृद्ध संस्कृति को दर्शाते थे। रिहर्सल का मज़ा भी परफॉर्मेंस से कम नहीं होता था। ये आयोजन सिर्फ परफाॅर्मेंस तक सीमित नहीं थे, बल्कि हमारे देश और उसकी अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनने का अहसास कराते थे। आइए, हम सब मिलकर अपने संविधान के मूल्यों को बनाए रखें और अपने देश के लिए एक उज्जवल भविष्य का निर्माण करें।‘‘
गीतांजलि मिश्रा ऊर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश ने कहा, ‘‘बचपन में स्कूल में गणतंत्र दिवस का जश्न प्रेरणादायक असेंबली के साथ शुरू होता था, जिसमें हम ‘झांसी की रानी’ और ‘भारत माता की जय’ जैसी देशभक्ति वाली कविताओं का पाठ करते थे। मैं भाषण प्रतियोगिताओं में बड़े उत्साह से भाग लेती थी, जहां भारत की आजादी और संविधान निर्माण की कहानियों को गहराई से जानने का मौका मिलता था। झंडा फहराने और राष्ट्रगान की धुन के साथ वह पल दिल को छू जाता था। हम गर्व और सम्मान के साथ झंडे को सलामी देते हुए स्थिर खड़े रहते थे। घर पर, परिवार के साथ गणतंत्र दिवस की परेड टेलीविजन पर देखना भी खास होता था। हम सैनिकों की वीरता और भारत के विभिन्न राज्यों की झांकियों का आनंद उठाते थे। उन पलों ने मुझे एकता, विविधता और राष्ट्र सेवा के महत्व का पाठ सिखाया-जो आज भी मेरे जीवन का हिस्सा है।‘‘ विदिशा श्रीवास्तव ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी ने कहा, ‘‘स्कूल में गणतंत्र दिवस का जश्न एक भव्य आयोजन होता था, जो सभी को एक साथ जोड़ देता था। मुझे आज भी याद है कि मैं ग्रुप डांस में हिस्सा लेती थी और तिरंगे के रंगों- केसरिया, सफेद और हरे रंग के कपड़े पहनती थी। ‘वंदे मातरम’ और ‘देश रंगीला’ जैसे गानों पर परफॉर्म करना एक अलग ही जोश भर देता था। हमारे शिक्षक जब संविधान निर्माण की कहानियाँ और प्रेरणादायक भाषण सुनाते थे, तो हमें बड़े सपने देखने और देश की प्रगति में योगदान देने की प्रेरणा मिलती थी। उन उत्सवों ने मेरे दिल में देश के लिए जो प्रेम जगाया, वह समय के साथ और भी गहरा हो गया है।‘‘