एण्डटीवी के ‘बाल शिव‘ में एक और रोचक घटना होने वाली है, जहां दर्शकों को माँ दुर्गा (शिव्या पठानिया द्वारा अभिनीत) के रौद्र रूप को देखने का मौका मिलेगा जोकि महिषासुर (पंकज कुमार) का वध करेंगी। महिषासुर के वध से कहानी में एक दिलचस्प मोड़ आएगा। जब महिषासुर सुमति (साची तिवारी) का अपहरण करता है, तब बाल शिव (आन तिवारी) क्रोधित हो जाते हैं और उसे मारने का निर्णय करते हैं। हालांकि, बाल शिव महिषासुर को मार नहीं सकते, क्योंकि उसे ब्रह्म देव का वरदान मिला हुआ है, कि कोई पुरूष उसे नहीं मार सकता, बल्कि एक महिला ही उसका विनाश कर सकती है। देवी कात्यायनी (तृषा आशीष सरदा) के रूप में जन्म लेने वालीं देवी पार्वती उसे मारने के लिये माँ दुर्गा बन जाती हैं।
कहानी के इस हिस्से के बारे में बात करते हुये देवी पार्वती की भूमिका निभा रहीं शिव्या पठानिया ने कहा, ‘‘महिषासुर अहंकारी है और महिलाओं का शोषण करता है। जब उसे पता चलता है कि देवी पार्वती ने उसे मारने के लिये जन्म लिया है, तब वह सुमति समेत सभी महिलाओं का अपहरण कर लेता है। भृंगी कात्यायन को बताते हैं कि भगवान शिव की पूजा किये बिना प्रसन्न नहीं रहा जा सकता, क्योंकि शिव और शक्ति एक ही हैं। इसलिये कात्यायन शिवलिंग की पूजा करने लगते हैं। जब बाल शिव सुमति को महिषासुर के बंधन से मुक्त कराते हैं, तब कात्यायनी अमरनाथ गुफा में जाती हैं और पार्वती बन जाती है। उन्हें वह दृश्य दिखते हैं, जब महादेव ने उन्हें अयोग्यता के कारण जन्म-जन्मांतर तक मिलन और बिछोह के बारे में बताया था। जब वह उन दृश्यों से बाहर आती हैं, उन्हें महिषासुर को मारने के लिये कात्यायन की आवाज सुनाई देती है और वह क्रोधित हो जाती हैं। वह शेर की सवारी करके विंध्याचल पर्वत पर पहुँचती हैं और महिषासुर को मारने की घोषणा करती हैं। उनके बीच भयंकर युद्ध होता है और आखिरकार देवी पार्वती उसे मार देती हैं। उनका चरित्र बहुत शक्तिशाली है और इसके लिये कई अभिव्यक्तियों पर काम करना पड़ता है, विशेषकर भयंकर होने का। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास किया है। मेरा सौभाग्य है कि मुझे एक ही शो में देवी पार्वती के कई अलग रूप दिखाने का मौका मिला, जिनमें बड़ी विविधता थी और मैंने काफी कुछ सीखा भी। इसके माध्यम से मुझे न केवल देवी पार्वती के कई पहलूओं को अनुभव करने और खोजने का मौका मिला, बल्कि मैंने उनके चरित्र से बहुत कुछ सीखा, जैसे कि साहसी होना और अपने दम पर खड़ा होना।’’ महिषासुर की भूमिका निभा रहे पंकज कुमार ने कहा, ‘‘मैंने भारतीय टेलीविजन पर कई किरदार निभाए हैं और हर किसी से बहुत कुछ सीखने का अनुभव मिला है। मैं सकारात्मक और नकारात्मक, दोनों तरह की भूमिकाएं कर चुका हूँ, लेकिन मुझे बुरे किरदार निभाने में ज्यादा मजा आता है। खलनायक की भूमिका मुझे हमेशा पसंद आती है, पेचीदा लगती है और कौतूहल देती है। खलनायक गलतियाँ करने वाले, ताकतवर और कपटी होते हैं और दर्शक उनके दोषों को समझ सकते हैं, इसलिये उन्हें शातिर दिमाग के और राक्षसी किरदार देखने में उतना ही मजा आता है, जितना अच्छे किरदारों को देखने में आता है। इसलिये यह मेरे लिये एक बेहतरीन अनुभव रहा, चाहे यह थोड़े समय के लिये था। लेकिन मुझे यकीन है कि दर्शकों को यह कथानक दमदार लगेगा। मैं बहुत रोमांचित हूँ और दर्शकों की प्रतिक्रिया का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूँ।’’