जुलाई महीने से एण्डटीवी के ‘एक महानायक- डाॅ बी.आर.आम्बेडकर‘ में एक और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे पर रोशनी डाली जा रही है। महिला सशक्तिकरण का यह मुद्दा, बाबासाहब के जीवन के सफर से जुड़ा है। आगामी कहानी में, रमाबाई (नारायणी महेश वरणे) और लक्ष्मीबाई (शगुन सिंह), घरेलू हिंसा का शिकार सरला नाम की एक महिला की मदद करते हैं। झुग्गी में रहने वालों के विरोध के बावजूद, वे दोनों एक बड़ा कदम उठाती हंै और सरला को अपने घर लेकर जाती हैं। उसकी तकलीफ के बारे में जानकर, भीमराव (अर्थव), उसे उसके अधिकारों के बारे में बताते हैं और उसे रमाबाई की मदद से जवाब देने के लिये प्रेरित करते हैं। युवा भीमराव की भूमिका निभा रहे, अथर्व कहते हैं,‘‘बाबासाहेब का एक मशहूर वक्तव्य है-‘‘मैं किसी समुदाय का विकास, वहां की महिलाओं द्वारा अर्जित की गई सफलता से मापता हूं।‘‘ डाॅ आम्बेडकर ने समाज को समानता, स्वतंत्रता और भाईचारे के मार्ग पर ले जाने के लिये काफी योगदान दिया। वह महिलाओं के सशक्तिकरण के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे और उन्होंने महिलाओं के उद्धार के लिये मार्ग तैयार किया। उन्होंने भारत में महिलाओं के अधिकारों के लिये भरपूर सहयोग दिया और महिलाओं के अधिकारों के बचाव और उसे आगे बढ़ाने के लिये कई सारे कानून बनाए। आगामी कहानी महिलाओं के अधिकारों और सशक्तिकरण के उसी पक्ष पर रोशनी डालती है।‘‘ रमाबाई का किरदार निभा रहीं, नारायणी महेश वरणे कहती हैं, ‘‘डाॅ आम्बेडकर द्वारा महिला सशक्तिकरण के सामाजिक मुद्दे को उठाने में रमाबाई सबसे बड़ी प्रेरणा में से एक रही हैं। विनम्रता, दृढ़ता और धैर्य का प्रतीक होते हुए, मौन रहकर वो बाबासाहेब के समर्थन में खड़ी रहीं। बाबासाहेब ने हर क्षेत्र में महिलाओं की समानता के सिद्धांत को स्थापित किया, जिसमें सामाजिक और आर्थिक अधिकार, कार्यक्षेत्र और शिक्षा शामिल है। स्वतंत्रता और समानता स्थापित करने की बाबासाहेब की प्रतिबद्धता ने महिलाओं को शिक्षा हासिल करने और विभिन्न कार्यक्षेत्रों में आगे बढ़ने का आत्मविश्वास दिया और आज वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं। हमारी कहानी में यह दिखाया गया कि किस तरह डाॅ आम्बेडकर ने महिलाओं को अपने अधिकारों, अन्य महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों पर लड़ने के लिये प्रेरित किया।‘‘