-यूफोरिया प्रोडक्शन्स द्वारा निर्मित इस शो में व्योम ठक्कर ‘बाल अटल‘ के रूप में; नेहा जोशी अटल की मां ‘कृष्णा देवी वाजपेयी‘ के रूप में; आशुतोष कुलकर्णी पिता ‘कृष्णा बिहारी वाजपेयी‘ के रूप में; मिलिंद देशपांडे दादाजी ‘श्यामलाल वाजपेयी‘ के रूप में, राहुल जेठवा बड़े भाई ‘अवध बिहारी वाजपेयी‘ के रूप में, आर्या जोशी भाभी ‘अवध की पत्नी‘ के रूप में; प्रियांशु गांधी ‘सदा बिहारी वाजपेयी‘ के रूप में, सक्षम श्रृंगऋषि ‘प्रेम बिहारी वाजपेयी‘ के रूप में और एलिना ‘उर्मिला बिहारी वाजपेयी‘ के रूप में एवं एलिन ‘कमला बिहारी वाजपेयी‘ के रूप मे नजर आयेंगे_
भारतीय इतिहास में कई प्रधानमंत्री ऐसे रहे हैं, जिन्होंने बड़े-बड़े बदलाव किये। उन्होंने अपने महान दृष्टिकोण और दृढ़-निश्चय के साथ महत्वपूर्ण क्षणों में देश का नेतृत्व किया। उनके कार्यकाल में कई ऐसे महत्वपूर्ण फैसले हुए, जिन्होंने देश की तकदीर बदली और भारत ने दुनिया पर अपनी छाप छोड़ी। अपने महत्वपूर्ण दृष्टिकोण और निर्णायक कदमों से इन नेताओं ने इतिहास में अपना नाम दर्ज किया और ऐसी अमिट विरासत छोड़ी, जिसने शानदार सफलता और प्रगति के एक युग को परिभाषित किया। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण नेता थे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी।
अटल बिहारी वाजपेयी एक प्रभावशाली राष्ट्राध्यक्ष थे और भारत के लोग उनकी विरासत को बहुत अहमियत देते हैं। एण्डटीवी अपने नये शो ‘अटल’ के माध्यम से उनके बचपन के अनकहे पहलुओं को सामने लाने के लिये तैयार है। यूफोरिया प्रोडक्शंस द्वारा निर्मित यह शो आपको अटल जी के बचपन की झलक दिखायेगा, जिन्होंने बड़े होकर भारत का नेतृत्व किया और इसे एक महान राष्ट्र बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। भारत में ब्रिटिशराज की पृष्ठभूमि पर आधारित यह शो आपको अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की उन घटनाओं, मान्यताओं तथा चुनौतियों के बारे में बतायेगा, जिसकी वजह से एक ऐसे नेता का जन्म हुआ, जिसे हम आज जानते हैं। शो की कहानी में अटल की माँ के साथ उनके गहरे सम्बंधों को दिखाया जाएगा, जिन्होंने उनकी धारणाओं, मूल्यों और चिंतन को गहराई से प्रभावित किया था। एक ओर भारत ब्रिटिशराज में गुलामी का सामना कर रहा था और दूसरी ओर देश आंतरिक कलह और धन, जाति तथा भेदभाव के विभाजन से जूझ रहा था। अखण्ड भारत का जो सपना अटल की माँ ने देखा था, उसे उन्होंने अपने दिल की गहराइयों में उतार लिया। इस शो में अटल बिहारी वाजपेयी की प्रेरक कहानी दिखाई जाएगी, जिन्होंने अपने विनम्र स्वभाव के साथ शुरूआत की और फिर यही लड़का एक दिन भारत के सबसे प्रमुख नेताओं में से एक बना।
एण्डटीवी के नये शो ‘अटल’ के बारे में एण्डटीवी के बिजनेस हेड विष्णु शंकर ने अपनी बात रखते हुए कहा, ‘‘एण्डटीवी में हम ऐसा कंटेन्ट बनाने की कोशिश करते हैं, जो हमारे दर्शकों के साथ गहरा जुड़ाव बनाये और कहानी कहने की प्रासंगिक एवं महत्वपूर्ण कला से उन्हें प्रेरित करे। हमारा नया शो ‘अटल’ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की एक दमदार कहानी है। उन्हें एक सक्षम नेता, कवि और वक्ता के रूप में सभी जानते हैं, लेकिन उनके बचपन के बारे में ज्यादातर लोगों को नहीं पता है। यह कहानी उनके शुरूआती अनुभवों और चुनौतियों पर एक अनूठा नजरिया दिखाती है, जिसने उनकी धारणाओं और मूल्यों को आकार दिया और उन्हें ऐसा नेता तथा इंसान बनाया, जिसे हम आज जानते हैं। हम अपने दर्शकों के लिए उनकी कहानी लाकर बहुत खुश हैं और हमें आशा है कि दर्शकों का खूब मनोरंजन होगा और उन्हें प्रेरणा भी मिलेगी।’’
शो का निर्माण करने वाले यूफोरिया प्रोडक्शंस के निर्माता आरव जिंदल ने कहा, ‘‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी वाकपटुता और चतुराई के गुणों से भरपूर एक दिग्गज नेता थे और उन्होंने भारत की राजनीति को एक ठोस विरासत दी। उन्होंने अपनी राजनीतिक दक्षता, खास शख्सियत और देश की भलाई के लिये अपनी अटूट प्रतिबद्धता का संयोजन किया और भारत के इतिहास में एक श्रद्धेय नेता बने। श्री वाजपेयी ने सांस्कृतिक जड़ों के साथ राजनीतिक परिदृश्य का संगम कर उसे नया आकार दिया। आर्थिक तरक्की को बढ़ावा देने वाले एक राष्ट्राध्यक्ष के रूप में उन्होंने विभिन्न दलों को एकजुट किया और लोगों की प्रशंसा बटोरी। उनके फैसलों ने भारत को वैश्विक आवाज दी, वह प्रखर बुद्धिमत्ता और दूरदर्शिता का प्रतीक थे। वाजपेयी के शानदार नेतृत्व ने प्रगति और एकता को बढ़ावा दिया, वह लोगों के लिए एक सदाबहार प्रेरणा बने और उन्होंने राजनीतिक सीमाओं से परे जाकर काम किया। हमारा शो ‘अटल’ आज की पीढ़ी को उनकी कालजयी विरासत और उनके करिश्माई व्यक्तित्व से परिचित करना चाहता है, क्योंकि इसमें उनके बचपन की अनकही बातें हैं।’’
‘अटल’ शो के लेखक शांति भूषण ने बताया, ‘‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति को नया आकार दिया। उन्होंने हमारी सांस्कृतिक धरोहर की जड़ों में बसे एक नए नजरिये को भी बढ़ावा दिया। भारतीय मूल्यों और परंपराओं से उनके गहरे लगाव ने मुख्यधारा की राजनीति को एक अलग पहचान दी। देश के लिये गौरव, प्रेम तथा देशभक्ति की भावना ही वाजपेयी की राजनीतिक विरासत का आधार थी, जिसने अखण्ड भारत की नींव रखी। आज की वैश्वीकृत दुनिया में अपनी पहचान और राष्ट्रीयता को संरक्षित रखना एक महत्वपूर्ण चुनौती है। हमारा शो ‘अटल’ आज की पीढ़ी को प्रेरित करना और ऐसे आइडिया को बढ़ावा देने का एक मंच देना चाहता है, जो हमारे देश के गौरव को दुनिया के पटल पर लेकर जाए। वाजपेयी की जिंदगी की कहानी बहुत ही जबर्दस्त है, और यह आज के युवाओं को भारत की सांस्कृतिक जीवंतता और महत्व के लिये दुनियाभर में योगदान देने के लिये मार्गदर्शित करती है।’’
बाल अटल की भूमिका निभाने के बारे में व्योम ठक्कर ने कहा, ‘‘मैं बेहद उत्साहित और शुक्रगुजार हूँ कि मुझे बाल अटल की भूमिका निभाने का मौका मिला है। मैंने अटल जी के बारे में इतिहास की किताबों और अपने पैरेंट्स से ही सुना था, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि एक दिन किसी टेलीविजन शो में उनके बचपन की भूमिका निभाऊंगा!’’ कृष्णा देवी वाजपेयी की भूमिका के बारे में बताते हुए, नेहा जोशी ने कहा, ‘‘मैं अटल की माँ कृष्णा देवी की महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर खुश हूँ। इतिहास और राजनीति में गहन रुचि के बावजूद, कृष्णा देवी बड़ी ही सहजता से अपने पति, वाजपेयी जी की एक समर्पित सहयोगी बन गईं। उनके जीवन का मिशन था अपने परिवार में सौहार्द्र बनाये रखना और अपने पति के फैसलों के साथ मजबूती से खड़े रहना। उनके इरादे चट्टान की तरह पक्के थे और धर्म को लेकर उनकी गहरी आस्था थी, उन्होंने ब्रिटिशराज का चुपचाप विरोध किया और भारत की स्वाधीनता चाही। कृष्णा देवी वह आधार हैं, जिसने उनके बेटे अटल को ढाला। उन्होंने अटल को एक दृढ़ नजरिया दिया और दर्जे पर सवाल उठाने का स्वाभाविक रुझान भी उन्हें अपनी मां से मिला। संभव है कि वह दुनिया को अपने विचार नहीं बता सकीं, लेकिन अपने प्यारे देश भारत को स्वतंत्र कराने की वास्तविक इच्छा उनमें थी। अपने परिवार के लिये उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता, ब्रिटिशराज के दमन के विरुद्ध उनकी अनकही ललकार और अपने बेटे को एक अच्छा नागरिक बनाने में उनकी प्रभावी भूमिका कृष्णा को एक बेजोड़ किरदार बनाती है।’’
कृष्ण बिहारी वाजपेयी की भूमिका के बारे में आशुतोष कुलकर्णी ने कहा, ‘‘पर्दे पर बाल अटल के पिता की भूमिका निभाना मेरे लिए बेहद गर्व की बात है। 1930 के दशक में कृष्ण बिहारी वाजपेयी एक गंभीर शिक्षक एवं राष्ट्रवादी इंसान थे, जिनके ब्राह्मण परिवार में चार बेटे और तीन बेटियां थीं। अपने देश से प्यार करने वाले श्री कृष्ण बिहारी भारत में ब्रिटिशराज की स्थिरता पर पक्का यकीन रखते थे और वे कोलोनियल ताकत के साथ समन्वय तथा आदर की वकालत करते थे। अपने परिवार के लिये उनकी आकांक्षाएं शिक्षा पर आधारित थीं। वे अंग्रेजी में निपुण होने, शैक्षणिक उत्कृष्टता और सरकारी नौकरी पाने की कोशिश पर जोर देते थे।’’