‘अपने पति की मौत के बाद मैंने कई बार सोचा कि ऐक्टिंग छोड़ दूं‘‘ हिमानी शिवपुरी

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ में कटोरी अम्मा की भूमिका निभा रहीं, हिमानी शिवपुरी, पिछले तीन दशकों से भारत की सबसे प्रतिभाशाली और बेहतरीन अदाकारा रही हैं। उन्होंने अपने हर दौर की ब्लाॅकबस्टर फिल्मों में भी काम किया है और ऐक्टिंग के अपने जबर्दस्त हुनर से लाखों दर्शकों का दिल जीता है। थियेटर को लेकर हिमानी शिवपुरी के अंदर काफी जुनून रहा है, जिसकी वजह से उन्हें इतना नाम, शोहरत और पहचान मिली। हमारे साथ एक छोटी-सी बातचीत में उन्होंने बतौर अभिनेत्री अपने इस दिलचस्प सफर के बारे में बात की।

1.बतौर अभिनेत्री बाॅलीवुड में आपका सफर कैसे शुरू हुआ?

आॅर्गेनिक केमेस्ट्री में पोस्ट-ग्रेजुएशन पूरा करने के बाद, मैं एडवांस स्टडीज के लिये यूनाइटेड स्टेट्स जाने वाली थी। उसी समय, मेरा सिलेक्शन एनएसडी (नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा) के लिये हो गया। जब मैंने अपने परिवारवालों को बताया कि मैं एनएसडी जाना चाहती हूं, तो हर कोई परेशान हो गया। शुरूआत में बाॅलीवुड को लेकर मेरे विचार नकारात्मक थे। मैं मूवीज में नहीं जाना चाहती थी। मेरा मानना था कि बाॅलीवुड ऐसी जगह होती है जहां अभिनेत्रियों से अंग प्रदर्शन की उम्मीद की जाती है। अपने दिवगंत पति ज्ञान शिवपुरी से मिलने से पहले तक मैं नाटक और थियेटर तक ही सीमित थी। उन्होंने मुझे फिल्में करने के लिये प्रोत्साहित किया। मैंने आॅडिशन देना शुरू किया और मैं आभारी हूं और खुद को खुशकिस्मत मानती हूं कि मुझे ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे‘, ‘परदेस‘ और ‘उमराव जान‘ जैसी क्लासिक फिल्मों में काम करने का मौका मिला।

2.ऐक्टिंग को कॅरियर के रूप में चुनने पर आपको किन चुनौतियों का सामना करना पड़ा?

मैं उत्तरप्रदेश के एक छोटे शहर से हूं और उसके बाद मैं देहरादून आ गई थी। उस समय एंटरटेनमेन्ट की दुनिया में काम करना अच्छा नहीं माना जाता था और किसी ने भी मेरे कॅरियर के चुनाव को गंभीरता से नहीं लिया। मुझसे अक्सर यह सवाल पूछा जाता था, ‘‘क्या नौटंकी करोगी? मुझे अपने परिवार को यह बात समझानी पड़ी थी कि ऐक्टिंग भी एक गंभीर पेशा है और ऐक्टर बनने के लिये भी औपचारिक रूप से ट्रेनिंग लेना जरूरी है। इसलिए, मैंने एनएसडी से जुड़ने का फैसला किया, जिसके लिये घरवालों को काफी मनाना पड़ा। खुशकिस्मती से मेरे पिता हरीदत्त भट्ट ने मेरा साथ दिया। इसके बावजूद भी अपने परिवार को यह समझाना उतना आसान नहीं था कि ऐक्टिंग या थियेटर को प्रोफेशन के रूप में चुनने के लिये कुछ खास स्किल्स और उतनी ही मेहनत की जरूरत होती है।

3.थियेटर के अपने सफर के बारे में बताएं।

जब मैं सात साल की थी तो मैंने एक नाटक में हिस्सा लिया था, लेकिन उसके बारे में ज्यादा याद नहीं। उसके बाद से मैं थियेटर से जुड़ गई, जोकि स्कूल और काॅलेज के दौरान जारी रहा। केमेस्ट्री में एमएससी करने के दौरान, मैंने बेटलाॅट ब्रेच के एक नाटक, ‘‘द थ्री पेनी ओपेरा‘ में काम किया। एनएसडी के लोग उस वर्कशाॅप का आयोजन करवा रहे थे। उसके बाद मुझे एहसास हुआ कि मुझे अपने जीवन से यही चाहिए। उसके बाद ही मैंने नेशनल स्कूल आॅफ ड्रामा में जाने का फैसला किया। थियेटर में मैंने जो भी नाटक किए वे मेरे लिये बेशकीमती हैं, लेकिन फिर मैंने ‘मित्रांे मरजानी‘ में काम किया, जिसे मैंने पूरे देश में परफाॅर्म किया और वह मेरे यादगार परफाॅर्मेंस में से एक है।

4.बाॅलीवुड और टेलीविजन में सफलता मिलने के बाद भी आप अभी तक  थियेटर से जुड़ी हुई हैं। कौन-सी बातें आपको आगे बढ़ने के लिये प्रेरित करती हैं?

थियेटर हमेशा ही मेरा पहला प्यार रहेगा और परदे पर ऐक्टिंग आखिरी। मैं कभी भी थियेटर छोड़ नहीं सकती। बतौर कलाकार, दोनों करते हुए मुझे खुशी मिलती है। मैंने कभी भी माध्यम की परवाह नहीं की, बस अच्छी भूमिकाओं की चाहत करती रही। हर किसी को खुद पर भरोसा होना चाहिए और उसे आगे बढ़ाने का आत्मविश्वास। मैंने ना केवल भारतभर में थियेटर्स में परफाॅर्म किया, बल्कि अलग-अलग यूनिवर्सिटी में वर्कशाॅप भी किए। मैं थियेटर इस तरह से जाती हूं, जैसे महिलाएं खुद को तरोताजा करने के लिये स्पा जाती हैं।

5.कटोरी अम्मा का आपका किरदार घर-घर में मशहूर हो चुका है। जब आपने ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ शुरू किया था तो क्या आपको इस तरह की प्रतिक्रिया मिलने की उम्मीद थी?

एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ के साथ मेरा सफर कमाल का रहा है। जब पहली बार यह शो अस्तित्व में आया, मुझसे कटोरी अम्मा का किरदार निभाने के लिये संपर्क किया गया। अब लोग मुझे सेट पर कटोरी अम्मा के नाम से बुलाते हैं। मैं योगेश को थियेटर के दिनों से जानती हूं, इसलिए हमारी केमेस्ट्री बहुत अच्छी थी और कामना के साथ भी ऐसा ही था, जबकि दोनों के साथ ही मैं पहली बार काम कर रही थी। मेरे विचार से कटोरी अम्मा को एक दमदार मां के रूप में दिखाया गया है। वह जोश से भरपूर है और उसे अपना काम निकालना आता है। यह किरदार पसंद किया गया और शुरूआत से ही मुझे पहचान मिल गई। यह एक मां का बहुआयामी किरदार है। अपने परिवार के लोगों के साथ उसका जिस तरह का रिश्ता है उसे सबसे ज्यादा पसंद किया गया। उसे हमेशा ही उनकी चिंता करते हुए दिखाया गया है। दर्शक जिस तरह मुझे प्यार से कटोरी अम्मा कहकर बुलाते हैं, वह एक ट्रेडमार्क है, जो हमेशा ही मेरे दिल के करीब रहेगा।

6.वास्तविक जीवन में योगेश त्रिपाठी और कामना पाठक के साथ आपका एक मां जैसा रिश्ता है। इसके बारे में कुछ बताएं।

दोनों ही बहुत अच्छे इंसान हैं, जो मेरा पूरा ध्यान रखते हैं। मैं उनकी मांओं की तरह ही उन्हें प्यार भी करती हूं और डांटती भी हूं। जब भी मैं सेट पर होती हूं, हम एक-दूसरे के साथ वक्त बिताने की कोशिश करते हैं। वे आस-पास होते हैं तो मुझे कभी बोरियत महसूस नहीं होती। केवल वो दोनों ही नहीं, पूरी टीम मुझे अम्मा कहकर बुलाती है और मैं उन सबसे से बहुत प्यार करती हूं।

7.आपको कभी अपना कॅरियर छोड़ने का ख्याल आया?

सच कहूं, तो अपने पति की अचानक मौत के बाद मैंने गंभीरता से ऐक्टिंग छोड़ने का मन बनाया। मैं सबकुछ छोड़ देना चाहती थी, क्योंकि एक मां के रूप में शोज़ के लिये अपने बच्चे को घर पर छोड़ना बुरा लगता था। चूंकि, हमारे पास बहुत पैसे नहीं थे, हमारे पास कोई विकल्प नहीं था, सिवाय काम करने के। मुझे याद है कोलकाता में एक कार्यक्रम था; हम वहां नहीं जा सकते थे, इसलिए मैंने ट्रेन में ही अपने बच्चे को ब्रेस्टफीड कराया। उन दिनों के उस तनाव और परेशानियों को भूल पाना मुश्किल है। परफाॅर्मेंस से पहले मिल्क एक्सप्रेस करने के लिये रेस्टरूम की तरफ भागना, ताकि कपड़े गीले ना हो जाएं, मैं कभी भूल नहीं सकती। कहने का मतलब है कि महिलाओं के लिये यह चुनना शायद ही इतना आसान होता है कि घर पर रहें या काम करें। लेकिन मैंने कभी भी हार मानना नहीं सीखा और जीवन में हमेशा ही परेशानियों के खिलाफ डटी रही।

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