अटल है अटल की जीत!

अटल को खरीदार को सौंपने के लिये किडनैपर्स जैसे ही रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं, एक पुलिस अधिकारी शक के आधार पर उन्हें रोक लेता है। वह किडनैपर्स से पूछताछ करना शुरू करता है, तभी सुदर्शन त्रिपाठी, जिसने अटल के अपहरण की योजना बनाई थी, पीछे से उस अधिकारी के सिर पर वार कर देता है। कृष्णा देवी ऊर्फ नेहा जोशी ने इस कहानी के बारे में बताते हुये कहा, ‘‘किडनैपर्स जब अटल को स्टेशन की तरफ ले जा रहे होते हैं, तब अटल जोर-जोर से अपने मां-पापा को आवाज लगाता है। कृष्णा देवी अटल की आवाज सुन लेती हैं और उन्हें अपने आस-पास उसकी मौजूदगी का अहसास होता है। वह उसे ढूंढने के लिये बेताब हो उठती है। सुदर्शन त्रिपाठी सभी लोगों से कहता है कि उन्हें कृष्णा देवी का ख्याल रखना चाहिये, क्योंकि अटल के गुमशुदा होने से वह बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। इसी दौरान, एक पुलिस वाला आता है और उन्हें बताता है कि जंगल के पास एक पुलिस अधिकारी घायल अवस्था में मिला है। अटल के परिवार वाले और बाकी के लोग उससे उन्हें घटनास्थल पर ले जाने का अनुरोध करते हैं।‘‘ जब वे उस जगह पर पहुंचते हैं, तो पाते हैं कि घायल पुलिस अधिकारी बेहोश पड़ा है। अटल को पाने की उम्मीद में वे पास के रेलवे स्टेशन पर पहुंचते हैं। कृष्णा देवी आगे कहती हैं, ‘‘जब गुंडे स्टेशन पहुंचते हैं, तो वे देखते हैं कि कृष्णा देवी वहां पर खड़ी हैं और सुदर्शन उन्हें दूर से देख रहा है। अटल के खरीदार अटल पर हमला करने की कोशिश करते हैं, लेकिन अवध वहां पहुंचकर उसे बचा लेता है। तोमर खरीदारो को दूर ले जाने का प्रयास करता है, लेकिन अटल जानना चाहता है कि उसकी किडनैपिंग की योजना किसने बनाई थी। तोमर शुरूआत में बचने की कोशिश करता है और कहता है कि यह पता लगाने के लिये उसे अच्छी तरह से छानबीन करने की जरूरत होगी। हालांकि, कृष्णा देवी और परिवार वाले सच्चाई जानने के लिये खरीदार के पास जाते हैं। तब उन्हें पता चलता है कि अटल के अपहरण की योजना सुदर्शन त्रिपाठी ने बनाई थी और इस तरह सुदर्शन की गिरफ्तारी होती है।‘‘

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