वासर कॉलेज ने मुंबई और दिल्ली में नयी शिक्षा नीति के प्रकाश में लिबरल आर्ट्स के महत्व को लेकर पैनल चर्चा का आयोजन किया

 

शहज़ाद अहमद 

लिबरल आर्ट्स के लिए दुनिया भर में विख्यात और प्रतिष्ठित, वासर कॉलेज ने विद्यार्थियों के कॅरियर को आकार देने के लिए लिबरल आर्ट्स शिक्षा के भविष्य और महत्व को लेकर नई दिल्ली और मुंबई में पैनल चर्चा का आयोजन किया।   7 जनवरी 2020 को नई दिल्ली में आयोजित पैनल चर्चा में प्रोफेसर जी रघुराम, डॉ. सुंदर रामास्वामी, प्रोफेसर पीवी मधुसूदन राव, प्रोफेसर सुधीर शाह, डॉ. प्रमाथ राज सिन्हा और अशोक त्रिवेदी ने भाग लिया। अगले दिन मुंबई में हुई पैनल चर्चा में प्रोफेसर अनुष कपाडिया, नीना हिरजी खेराज, प्रोफेसर संतोष कुमार कुडतारकर, रमेश मंगलेस्वरन और डॉ. रविंद्र कुलकर्णी ने भाग लिया। इस बदलती हुई दुनिया में, सबसे महत्वपूर्ण कौशल ग्रहण करने की क्षमता, नयी सूचनाओं को स्वीकार करना और स्थितियों को समझना है। लिबरल आर्ट्स की अवधारणा से लगातार सीखा जा सकता है, इसके माध्यम से छात्र तमाम प्रकार की शैली,विषय और आदर्श सीखते हैं। लिबरल आर्ट्स शिक्षा मुख्य संचार कौशल (लेखन,बोलने,बातचीत करने), विद्यार्थियों को बहुआयामी क्षेत्रों में मुखर बनाने (आर्ट्स, मानविकी, सामाजिक विज्ञान और प्रकृति और सूचना विज्ञानं), के लिए आवश्यक है और यह शिक्षा विद्यार्थियों को नई खोज करने, रचनात्मक और उद्यमी बनाने और जिम्मेदार नागरिक और कम्युनिटी के रोल मॉडल (आदर्श) बनने की दिशा में खुद का मार्ग तलाशने में सहायक होती है। भारत की हाल में आई शिक्षा नीति भी सभी स्कूलों और कॉलेजों में लिबरल आर्ट्स शिक्षा के महत्व पर जोर डालती है। इन दो दिनों के दौरान पैनल चर्चा में हुई बातचीत में लिबरल आर्ट्स की जानकारी बढ़ाने और कॅरियर बनाने में इसके महत्व को लेकर विचार विमर्श हुआ। वासर कॉलेज के प्रेसिडेंट एलिजाबेथ ब्रैडले ने कहा: ” मैं भारत में इन चर्चाओं को लेकर काफी उत्साहित थी, विशेषकर जब सरकार युवाओं को गुणवत्ता वाली शिक्षा देने के लिए कृतसंकल्प हो। वासर, हमेशा से लिबरल आर्ट्स शिक्षा देने के मामले में अग्रणी रहा है जहां विद्यार्थियों को विभिन्न वर्गों में कौशल शिक्षा प्रदान की जाती है। हमें इस बात की ख़ुशी है कि हमने दोनों शहरों में  xx संख्या में लोगों को आमंत्रित किया और बातचीत में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सेदारी की। “आईआईएम बैंगलोर के निदेशक प्रोफ़ेसर जी रघुराम और /या अशोका विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के संस्थापक और ट्रस्टी अशोक त्रिवेदी के वक्तव्यों को पैनल डिसकशन के हिसाब से जोड़ा जायेगा )

 

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