एण्डटीवी के ‘अटल‘, ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ और ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में दर्शक कुछ हाई-वोल्टेज ड्रामा देखेंगे। एण्डटीवी के ‘अटल‘ की कहानी के बारे में अटल बिहारी वाजपेयी ने बताया, ‘‘अटल (व्योम ठक्कर) टीचर से रिक्वेस्ट करता है कि हिन्दी मीडियम के स्टूडेंट्स को स्कूल के वार्षिक दिवस समारोह में भाग लेने दिया जाए। अटल की रिक्वेस्ट के बावजूद टीचर मना कर देता है। फिर इस बात के लिये अटल प्रिंसिपल को मना लेता है। अपने क्लासमेट्स को समारोह में शामिल होने के लिये प्रोत्साहित करते हुए, अटल अकेला रह जाता है, क्योंकि वार्षिक समारोह में भाग लेने के लिये कोई भी आगे नहीं आता है। अटल उस रात कृष्णा देवी (नेहा जोशी) से वादा करता है कि वार्षिक समारोह में वह प्रतियोगिता जीतेगा और इनाम पाएगा। अगले दिन अटल उस आयोजन के लिये एक कविता तैयार करता करता है। शुरूआत में परेशानी उठाने के बाद, आखिरकार वह अपनी पहली कविता बनाने में सफल होता है। मार्गदर्शन के लिये अटल अपने पिता को वह कविता सुनाता है और वह कुछ सुधार करते हैं। अपने परिवार की आर्थिक कठिनाइयों के बारे में जानकर, अटल कचोरियाँ बनाने में गजोधर की सहायता करते हुए अपने परिवार की मदद करने का संकल्प लेता है। इस बीच, अटल की कविता संयोग से कृष्ण बिहारी (आशुतोष कुलकर्णी) के हाथ लग जाती है। अटल के पिता उसे सजा देते हैं और जोर देकर कहते हैं कि वह पैसा कमाने के बजाए अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे। इसके बावजूद अटल अपनी कविता तैयार करता है। उसके समर्थक उसकी सफलता के लिये प्रार्थना करते हैं, जबकि विरोधी लोग उसके असफल होने की उम्मीद में हैं।’’
एण्डटीवी के ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कहानी के बारे में दरोगा हप्पू सिंह ने बताया, ‘‘बेनी (विश्वनाथ चटर्जी) एक कानूनी लड़ाई में खोदी (शरद व्यास) की ओर से लड़ता है। इस बीच कमिश्नर (किशोर भानुशाली) हप्पू (योगेश त्रिपाठी) को यह बताता है कि उसकी जाँच चल रही है। अम्मा और राजेश (गीतांजलि मिश्रा) ज्वैलरी खरीदने के लिये निकलती हैं। हालांकि, बेनी एक बुरी खबर लेकर आता है कि वह केस हार गया है और खोदी फंस गया है। उसे भरपाई में दो करोड़ रूपये देने होंगे। यह सुनकर राजेश बेहोश हो जाती है। इस स्थिति से बाहर आने के लिये बेनी उन्हें गरीब होने का दिखावा करने की सलाह देता है। हप्पू समेत पूरा परिवार गरीब होने का दिखावा करने लगता है। अपना पैसा और गहनों को बचाने के लिये हप्पू और बेनी एक गड्ढा खोदते हैं। हालांकि नितिन जाधव द्वारा अभिनित मनोहर, जो कि रिकवरी एजेंट है, उनकी हरकतों को देख लेता है। और हप्पू का परिवार बढ़-चढ़कर गरीब होने का दिखावा करने लगता है। आखिरकार मनोहर जाँच के लिये कमिश्नर को लाता है, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिलता है और वे चैंक जाते हैं।’’ एण्डटीवी के ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की कहानी के बारे में विभूति नारायण मिश्रा ने बताया, ‘‘सक्सेना (सानंद वर्मा) टीका (वैभव माथुर) और टीलू (सलीम ज़ैदी द्वारा अभिनीत) के साथ एक फिल्म की शूटिंग कर रहा है। विभूति (आसिफ शेख) दर्शक के तौर पर शूटिंग देख रहा है। फिल्मिंग के दौरान एक शब्द ‘‘रोटी चोर’’ सुनकर विभूति को चक्कर आ जाते हैं और उसे पुरानी याद आती है, जब एक बच्चे को ‘रोटी चोर’ कहकर चिढ़ाया जा रहा था। यह शब्द उस पर गहरा असर डालता है और वह अजीब बर्ताव करने लगता है, जैसे कि अनीता (विदिशा श्रीवास्तव) की प्लेट से रोटी झपट लेना। बाद में, तिवारी (रोहिताश्व गौड़) अनीता को अपने घर डिनर पर बुलाता है और उसके एनआरआई क्लाइंट्स भी आते हैं। इस दौरान भी विभूति का अजीब बर्ताव बना रहता है, वह हर किसी की रोटियाँ झपटता है और सब असहज हो जाते हैं। इस पर अनीता नाराज हो जाती है और बाद में विभूति माफी मांगता है। अम्माजी (सोमा राठौड़) तिवारी को एक उपाय बताती हैं कि वह गरीबों को रोटी खिलाए, ताकि हाल ही में हुए 10 लाख रूपये के नुकसान की भरपाई हो सके। जब तिवारी इस सलाह पर काम करने लगता है, तब विभूति एक बार फिर आड़े आता है। वह रोटियाँ छीनकर भागता है। इस बार, विभूति से परेशान होकर तिवारी कानूनी कार्यवाही करने का फैसला लेता है और उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाता है।’’