जोधा अकबर और झांसी की रानी जैसे शोज़ की शानदार सफलता के बाद ज़ी टीवी ने हाल ही में अपने सबसे बड़े ऐतिहासिक महाधारावाहिक का प्रीमियर किया, जिसमें मराठा साम्राज्य की सबसे प्रतिष्ठित महिलाओं में से एक काशीबाई बाजीराव बल्लाळ की भूली हुई कहानी दिखाई जा रही है। यह शो अपनी शुरुआत से ही दर्शकों का दिल जीत रहा, जहां नन्हीं काशीबाई (आरोही पटेल) और बाजीराव (वेंकटेश पांडे) की जोड़ी देश भर में खूब पसंद की जा रही है। आने वाले एपिसोड्स में दर्शक देखेंगे कि किस तरह काशीबाई एक गद्दार को फांसी देने के फैसले का विरोध करती हैं और बालाजी को अपना पक्ष समझाती हैं।
पेशवा की सातारा यात्रा कई मुश्किलों और चुनौतियों से भरी थी। दरअसल, उनकी हत्या के लिए एक जाल बिछाया गया था। एक गुप्तचर की मदद से काशी को इस शातिर योजना के बारे में पता चल जाता है। पेशवा की सलामती की फिक्र में वो बाजीराव के पास जाती हैं और उन्हें इस बारे में बताती हैं क्योंकि बाजीराव के जरिए ही वो उनके पिता की जान बचा सकती हैं। फिर बाजीराव के सैनिक उस गद्दार को पकड़ लेते हैं और उसे हवेली लाया जाता है, जहां उसे फांसी देने का फैसला सुनाया जाता है।
इस षड्यंत्र को लेकर उत्सुक बाजीराव को यह जानकर आश्चर्य होता है कि असल में उस गद्दार की पत्नी ने ही काशी से इस षड्यंत्र के बारे में बताया था। इस बीच, इस फैसले के बाद उस गद्दार की पत्नी अपने पति के लिए दया की फरियाद करती है और उसकी जिंदगी की भीख मांगती हैं। अपने दिल में दया की भावना लिए काशी एक समर्पित पत्नी को अपने पति के लिए फरियाद करते नहीं देख पातीं और बाजीराव के द्वारा सुनाए गए फैसले का विरोध करती हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि काशी के इस फैसले पर बाजीराव की क्या प्रतिक्रिया होगी।
इस ट्रैक के बारे में बात करते हुए आरोही पटेल ने कहा, ‘‘यह पहली बार है जब काशीबाई अपने खुद के परिवार, खासतौर से बाजीराव के खिलाफ खड़ी हुई हैं। चीजों को देखने का अपना नजरिया सबको समझाना उनके लिए आसान नहीं है। उन्हें इस बात की भी फिक्र है कि कहीं इससे उनकी और बाजीराव की दोस्ती में दरार ना पड़ जाए। लेकिन इसके बावजूद वो सही बात का साथ देती हैं और सभी को मनाती हैं कि उस गद्दार को मारने का फैसला वापस लिया जाए। मेरा मानना है कि मेरा किरदार काशी एक पक्के इरादों वाली लड़की है और मुझे पर्दे पर इस किरदार को निभाने में मजा आ रहा है, क्योंकि इससे मुझे हर दिन कुछ नया सीखने को मिल रहा है।‘‘
क्या काशीबाई बाजीराव को उनके फैसले पर दोबारा सोचने के लिए मना पाएंगी? या फिर उस गद्दार को मौत की सजा हो जाएगी?
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