ऐक्टर्स ने बताये अपने ‘पाॅ-एडोरेबल‘ पालतू पपीज़ के नाम!

डाॅग्स हमेशा से ही इंसानों के सबसे करीबी साथी रहे हैं और अपने वफादार स्वभाव से वे निरंतर इस बात को साबित करते रहे हैं और हमें इसकी याद दिलाते रहे हैं। संभावित रूप से शोर-शराबे से भरी दुनिया के बीच, हमारे इन प्यारे दोस्तों के पास वापस लौटना एक अद्भुत एवं सुखद अनुभव होता है। ये प्यारे-प्यारे पपीज़ हमें भावनात्मक रूप से सुकून की अनुभूति देते हैं। चार पैरों वाले ये प्यारे दोस्त वाकई में ‘पाॅ-एडोरेबल‘ कहे जाने के हकदार हैं। इंटरनेशनल डाॅग डे पर कलाकारों ने अपने डाॅग्स के बारे में बात की और उन दिलचस्प कहानियों के बारे में बताया कि कैसे उन्होंने अपने प्यारे पपीज़ का नामकरण किया। इन कलाकारों में शामिल हैं- गीतांजलि मिश्रा (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश), आयुध भानुशाली (‘दूसरी मां‘ के कृष्णा) और विदिशा श्रीवास्तव (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी)। गीतांजलि मिश्रा उर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की राजेश ने कहा, ‘‘वास्तव में, मैं डाॅग्स से इतना प्यार करती हूं कि अक्सर उन्हें इंसानों से ज्यादा तवज्जो देती हूं। मेरा मानना है कि डाॅग्स इंसानों से ज्यादा बेहतर दोस्त होते हैं। मैं जब भी अपने किसी दोस्त के घर जाती हूं, और पास में कोई डाॅग होता है, तो मैं अपने दोस्त से ज्यादा समय डाॅग के साथ बिताती हूं। कभी-कभार तो वे इस बारे में मुझसे शिकायत भी करते हैं (हंसती हैं)। मैंने भी एक लैब्राडोर को गोद लिया है। मेरे बिजी वर्क शेड्यूल की वजह से मैंने उसके रहने का इंतजाम अपने दोस्त के पास किया है, ताकि उसे लगातार अटेंशन मिलती रहे। हम जब पहली बार मिले थे, तो वह बहुत भौंका था और उसके भौंकने से ‘बम बम‘ जैसी आवाज आ रही थी। इसलिये मैंने उसका नाम बम बम रख दिया। मैं भगवान शिव की भक्त हूं और उसे बुलाने के बहाने मैं अपने पसंदीदा भगवान को भी याद कर लेती हूं। वह जब आस-पास होता है, तो मुझे बहुत अच्छा लगता है और मेरी जिंदगी में सकारात्मकता आती है। इस इंटरनेशनल डाॅग डे पर, मैं सभी लोगों को एक डाॅग घर लेकर आने का सुझाव देना चाहूंगी और देखियेगा कि उसके आने से कैसे आपके जीवन में सकारात्मकता और रोमांच आ जायेगा।

‘दूसरी माँ’ के कृष्णा, यानि आयुध भानुशाली ने बताया, ‘‘मुझे डाॅग्स बहुत ज्यादा पसंद हैं, लेकिन काम के व्यस्त शेड्यूल के चलते मैं उन्हें नहीं रखता हूँ, क्योंकि महीनों उससे दूर रहने पर मैं उदास हो जाऊंगा। कुछ महीने पहले, ज़ी स्टूडियोज़ जयपुर में अपने शो ‘‘दूसरी माँ’’ की शूटिंग के दौरान मैं एक शानदार ब्लैक लैब्राडोर से मिला था। एक दिन वह मेरे पास आया और मेरे पैर के आसपास खेलने लगा। मेरा फौरन उससे जुड़ाव हो गया और उसके मालिक से पूछा कि क्या उसे थोड़ी देर खेला सकता हूँ। वह मान गया, क्योंकि उसने देखा था कि मुझे कितनी परवाह थी। मैंने लैब्राडोर का नाम छोटा बुलेट रख दिया, क्योंकि वह छोटा, बहुत प्यारा और तेज था। मैं जब कहता कि ‘‘छोटा बुलेट, कम हीयर’’, तो वह मेरी तरफ दौड़ कर आता और कभी-कभी अपने छोटे पैरों के कारण इस तरह लड़खड़ाता कि उससे प्यार हो जाए। मेरे ब्रेक्स के दौरान हम एक गेंद से खेलते थे और दौड़ लगाते थे। मैं अक्सर उसे पार्कों और बगीचों में ले जाता था। जब उससे अलग हुआ, तब अलविदा कहना बड़ा मुश्किल था, लेकिन हम वीडियो काॅल्स के द्वारा जुड़े रहे। मेरा मानना है कि जानवरों का प्यार पवित्र और निस्वार्थ होता है और बदले में उन्हें दुनिया से बेस्ट ही मिलना चाहिये।’’ ‘भाबीजी घर पर हैं’ की अनीता भाबी, यानि विदिशा श्रीवास्तव ने बताया, ‘‘आप डाॅग को नहीं चुनते हैं, डाॅग आपको चुनता है। ऐसा ही कुछ हुआ, जब मैं तीन साल पहले अपनी बहन के यहाँ गई थी और बाकी की कहानी दिल को छू लेने वाली है। सफेद रंग का एक मिक्स्ड-ब्रीड डाॅग मेरे पास आया और उसने सौम्यता से अपनी नाक से मेरी गर्दन को छूआ। मुझे तुरंत उससे प्यार हो गया। उसके सफेद फर, आकर्षक आँखों और उत्साही स्वभाव के कारण हमने तुरंत उसका नाम फाॅक्सी रख दिया। वह सफेद लोमड़ी जैसा दिखता है और उसके पास सूंघने की ताकत गजब की है। जब भी हम कुछ पकाते, वह मजा लेता और चालाक लोमड़ी की तरह व्यवहार करता, जब तक कि उसे अपना हिस्सा नहीं मिल जाता। मेरी जिन्दगी का हिस्सा बनने के बाद फाॅक्सी मेरे तनाव को दूर करने वाला, सबसे नजदीकी साथी और उम्मीद का एक चमकता सितारा रहा है, जो मेरे हर दिन को जगमगा देता है। वह मेरी जिन्दगी में खुषी और अटूट लगाव लेकर आता है। सबसे महत्वपूर्ण, उसने मुझे दिखाया है कि रोजाना ज्यादा से ज्यादा प्यार कैसे किया जा सकता है। डाॅग्स हमें बेहतर इंसान बनाते हैं। सारे डाॅग लवर्स को हैप्पी इंटरनेषनल डाॅग डे!’’

 

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