इमोजीज़ के साथ अपने मैसेजेज़ हो जाते हैं और भी मजेदार!

इमोजीज़ भावनाओं और अभिव्यक्ति की नये जमाने की एक कूल भाषा हैं। क्यूट स्माइल्स से लेकर फियरी फ्राॅन्स तक, ये नन्हें आइकन्स हमारी भावनाओं को अभिव्यक्त करने का एक सहज अंदाज बन गये हैं। हर इमोजी का अपना एक विशेष अर्थ है और इसलिये हमने अपने शब्दों को इन मजेदार चेहरों से रिप्लेस कर दिया है। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम इन नन्हें-मुन्हें डिजिटल वंडर्स को इतना ज्यादा पसंद करने लगे हैं। वल्र्ड इमोजी डे पर एण्डटीवी के कलाकारों ने अपने पसंदीदा इमोटिकन्स और आधुनिक संस्कृति पर इनके प्रभाव के बारे में बात की। इनमें शामिल हैं- मनीषा अरोड़ा (‘दूसरी माँ‘ की महुआ), गज़ल सूद (‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कैट सिंह) और विदिशा श्रीवास्तव (‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी)। मनीषा अरोड़ा ऊर्फ ‘दूसरी माँ‘ की महुआ ने कहा, ‘‘सोशल मीडिया के युग में, इमोटिकान्स के माध्यम से अपनी भावनाओं को व्यक्त करना मजेदार हो गया है। ये मजेदार फेशियल आइकन्स मेरे जैसे लोगों के लिये वरदान हैं, जिन्हें लंबे-चैड़े मैसेजेज़ को टाइप करना अच्छा नहीं लगता है। हालांकि, मुझे याद है कि एक समय ऐसा भी था, जब इमोजीज़ का इतने धड़ल्ले से इस्तेमाल नहीं होता था। मैं सिंगल रिप्लाई में ही ढेर सारे इमोजीज़ भेज देती थी और वह भी बिना उनके अर्थ को जाने, जिससे अक्सर मेरे दोस्त कंफ्यूज्ड और परेशान हो जाते थे। एक बार, जब मेरे दोस्तों ने एक ग्रुप ट्रिप आयोजित किया, तो मैंने छह या सात इमोजीज़ भेज दी, जिसमें हंसी वाले, रोने वाले, हार्ट्स और उदासी वाले सभी इमोजीज़ थे (हंसती हैं)। वे समझ नहीं पा रहे थे कि मैं ट्रिप में आना चाहती हूं या नहीं आना चाहती, जिससे वे बहुत उदास हो गये। शुरूआत में, इमोजीज़ के जरिये अपनी भावनाओं को व्यक्त करना एक चुनौती थी, लेकिन धीरे-धीरे मैंने खुद को बेहतर बनाया और अब मैं खुद को एक्सपर्ट मानती हूं। यदि आप मेरे चैट देखेंगे, तो आपको पता चलेगा कि मेरी ज्यादातर भावनायें इमोजीज़ के जरिये ही व्यक्त की हुई हैं। टीयर्स आॅफ जाॅय इमोजीज़ मेरा सबसे पसंदीदा है। एक इमोशनल शख्स होने के नाते, मैं जब खुशखबरी सुनती हूं, तो खुशी का इजहार करती हूं। हालांकि, इमोजीज़ का जिम्मेदारीपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करना बेहद जरूरी है। एक बार मैंने दुःख भरे पलों में गलती से टीयर्स आॅफ जाॅय वाले इमोजीज़ भेज दिये और बाद में माफी मांगी तथा गलती को टेक्स्ट के जरिये सुधारा। उस दिन, मुझे शब्दों का उपयुक्त तरीके से इस्तेमाल करने की अहमियत समझ में आई और मैंने सीखा कि इमोजीज़ को स्थिति और विषय के आधार पर सावधानीपूर्वक इस्तेमाल करना चाहिये।‘‘

गज़ल सूद,ऊर्फ ‘हप्पू की उलटन पलटन‘ की कैट सिंह ने कहा, ‘‘इमोजीज़ हमारी संस्कृति के साथ गहराई से जुड़ गये हैं और उन लोगों तक भी पहुंच रहे हैं, जिन्हें किसी शब्द की स्पेलिंग लिखने में समस्या होती है। उदाहरण के लिये मेरी मां को ही देख लीजिये। लंबे-लंबे मैसेजेज़ टाइप करने के बजाय, वह इमोजीज़ के जरिये अपनी भावनाओं को व्यक्त करती हैं, जिससे यह पता चलता है कि वह अच्छा महसूस नहीं कर रही हैं या उदास हैं। मुझे जब भी इस तरह के इमोजीज़ मिलते हैं, तो मैं समझ जाती हूं, कि उन्हें मेरी कमी खल रही है और मैं फौरन उन्हें काॅल करती हूं। इसी तरह, जब मुझे उनकी याद आती है, तो मैं उदास चेहरों वाले इमोजीज़ के साथ एक दिल वाली इमोजी भेज देती हूं और उन्हें पता चल जाता है कि मुझे उनकी बहुत याद आ रही है। ये इमोटीकन्स मेरे लिये प्यार की भाषा बन गये हैं। विभिन्न इमोजीज़ में ब्लश-आॅन-चीक्स इमोजीज़ मेरी सबसे पसंदीदा है, जिसका इस्तेमाल मैं अक्सर करती रहती हूं। इसकी आनंददायक उपस्थिति और वाॅर्म एसेंस इसे पाने वाले को कंफर्टेबल और वेलकम महसूस करवाता है, यही वजह है कि मैं अक्सर इसका इस्तेमाल करती हूं। इमोजीज़ ने बेशक मैसेजेज़ की दुनिया में एक विजुअल आकर्षण को शामिल किया है, जो हमारे संचार करने के अनुभव को बेहतर बनाता है।‘‘ विदिशा श्रीवास्तव, ऊर्फ ‘भाबीजी घर पर हैं‘ की अनीता भाबी ने कहा, ‘‘मैं इमोजीज़ और गिफ्स के बिना संचार कर ही नहीं सकती। मैं बहुत एक्सप्रेसिव और वाइब्रेंट हूं, इसलिये अपने मैसेजेज़ और डिस्कशन्स में जीवंतता एवं भागीदारी लाने के लिये इमोजीज़ का इस्तेमाल करना पसंद करती हूं। चाहे हल्की-फुल्की बातचीत हो या किसी गंभीर मुद्दे पर चर्चा, इमोजीज़ और गिफ्स अभिव्यक्ति का एक मजेदार तरीका हैं और संवाद को जीवंत बनाते हैं। मेरी पसंदीदा इमोजी है हार्ट आईज इमोजी। इसकी प्रेमयुक्त, आनंददायक और उत्साही प्रकृति मेरी इस मान्यता के साथ पूरी तरह से मेल खाती है कि संवाद में सकारात्मकता होनी चाहिये और यह पढ़ने वाले को खुशी देने वाला हो। इमोजीज़ मूड को हल्का कर देते हैं और हमें याद दिलाते हैं कि जिंदगी को बहुत ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिये। इमोजीज़ आॅनलाइन कम्युनिकेशन में मेरी मौजूदगी को एक अभिन्न हिस्सा बन गये हैं और संवादों को अधिक मजेदार एवं आनंददायक अनुभव बना रहे हैं। यही वजह है कि मैं इनका इस्तेमाल करना पसंद करती हूं।‘‘

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